फरीदाबाद/हरियाणा: फरीदाबाद में आशा वर्करों के धरने का आज दूसरा दिन है आज भी सभी आशा वर्कर अपनी मांगों को लेकर अडी रही। फिलहाल अभी तक सरकार की तरफ से इन सभी आशा वर्करों को कोई आश्वासन नहीं दिया गया है। सरकारी कर्मचारी का दर्जा, 26 हजार न्यूनतम वेतन और रिटायरमेंट की आयु 65 साल करने आदि मांगों को लेकर जिले की 1060 आशा वर्कर तीन दिवसीय हड़ताल पर चली गई है। तीन दिवसीय हड़ताल के कारण जच्चा-बच्चा की देखभाल और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर असर देखने को मिल रहा है।
आशा वर्कर जिला प्रधान हेमलता और सचिव सुधा पाल की अगुवाई में लघु सचिवालय पर धरना दिया गया और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। आज हड़ताल का दूसरा दिन होने के चलते स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका असर देखा जा रहा है। प्रदर्शन में अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री भी शामिल रहे।
आशा वर्कर यूनियन हरियाणा की जिला प्रधान हेमलता ने सरकार को चेतावनी दी कि, “अगर 10 अगस्त तक मांगों का समाधान नहीं हुआ तो मजबूरीवश हड़ताल को आगे बढ़ाना पड़ेगा। जिसके लिए पूरी तरह सरकार जिम्मेदार होगी। उन्होंने कहा कि 2018 में आशा वर्करों की लंबी हड़ताल चली थी जिसमें कुछ मांगे मान ली गई थी लेकिन अभी तक सभी मांगों के ऊपर कोई संज्ञान नहीं लिया गया इसलिए हम साफ करना चाहते हैं की 4000 में काम नहीं करेंगे।”
उन्होंने कहा कि, “जच्चा बच्चा की देखरेख के इलावा सरकार उनसे दबाव डालकर कई तरह के काम जबरन करवा रही है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। बार-बार आशा वर्करों को नौकरी से निकालने की धमकियां दी जाती हैं जो कि बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं और आशा वर्कर धमकियों से डरने वाली नहीं है।”
रिपोर्ट: मनोज सूर्यवंशी
लेखक: विशाल राणा