Ayodhya Deepotsav 2024: अयोध्या में मनाया गया भव्य ‘दीपोत्सव’, 2 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बने

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Ayodhya Deepotsav 2024: अयोध्या में बुधवार (30 अक्टूबर) को दीपोत्सव-2024 का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें सरयू तट पर 25 लाख दीये जलाकर दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए गए. पहला रिकॉर्ड सबसे अधिक लोगों द्वारा एक साथ दीप घुमाने का और दूसरा 25,12,585 दीयों के जलने का रहा. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोनों पुरस्कार ग्रहण किए. दीयों से सजी अयोध्या ने प्रकाश की जीत और एकता का संदेश दिया.

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के अनुसार, इस भव्य कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अयोध्या के आकाश में दीपोत्सव के दौरान अद्भुत आतिशबाज़ी का नजारा देखा. इस साल का दीपोत्सव विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह पहला आयोजन है जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या के मंदिर में दीपोत्सव मनाया गया. बता दें कि इस कार्यक्रम को उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और अयोध्या जिला प्रशासन ने आयोजित किया.

सरोयू घाट पर लेजर और लाइट शो ने रंग-बिरंगी रौशनी से आयोजन की शोभा बढ़ाई. रामलीला की कथा को ध्वनि और प्रकाश के माध्यम से प्रस्तुत किया गया, जो इस आयोजन का मुख्य आकर्षण था.

दीपोत्सव 2024 के इस भव्य आयोजन में सरयू नदी के किनारे 25 लाख दीयों ने अंधकार पर प्रकाश की जीत का संदेश दिया. इस आयोजन में 18 आकर्षक झांकियां भी शामिल थीं, जिनमें भगवान राम के जीवन की प्रमुख घटनाओं को दर्शाया गया.

दीपोत्सव, पांच दिन तक चलने वाला पर्व है जो भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या आगमन की स्मृति में मनाया जाता है। इस आयोजन में अयोध्या की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को प्रस्तुत किया जाता है, जो लाखों भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है.

“यह भगवान राम की पहली दीवाली है”- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिवाली को विशेष बताया, यह पहली दीवाली है जब भगवान राम अपने नव-निर्मित भव्य मंदिर में विराजमान हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से कहा, “500 वर्षों के बाद, भगवान राम अपने भव्य मंदिर में विराजमान हुए हैं, और हम सब इस विशेष दीवाली को देखने का सौभाग्य पा रहे हैं.”

दीवाली का महत्व और परंपराएं

भारत का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली, जिसे प्रकाश का पर्व कहा जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस अवसर पर लोग अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं और दीयों और लाइटों से रोशन करते हैं। देवी लक्ष्मी की पूजा कर समृद्धि की कामना की जाती है. पटाखों से आकाश में रंग-बिरंगी आतिशबाजी होती है, जो इस त्योहार की खुशियों को दोगुना कर देती है.