Status of RTI in Punjab: RTI यानी सूचना का अधिकार, जिसे 2005 में नागरिकों को सशक्त बनाने और सरकार की कार्यशैली में पारदर्शिता बढ़ाने के मकसद से लागू किया गया था, ताकि जारी भ्रष्टाचार को रोका जा सके. लेकिन अब पंजाब सरकार इस कानून को खत्म करने जा रही है. ये वही सरकार है, जिसकी नींव दिल्ली में RTI के दम पर रखी गई थी, और ये बात किसी से भी छिपी नहीं है. क्योंकि दिल्ली के पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल कभी RTI एक्टिविस्ट हुआ करते थे. केजरीवाल उसी से मशहूर हुए और इस कानून के लागू होने के महज एक साल के अंदर (2006) ही उन्होंने रमन मैग्सेस अवॉर्ड जीता, अपनी पार्टी (AAP) बनाई और दिल्ली के CM बन गए. और अब दिल्ली के साथ-साथ पंजाब में भी उन्हीं की पार्टी की सरकार है. लेकिन पंजाब की आप सरकार, RTI एक्टिविस्ट अरविंद केजरीवाल के उसूलों से भटक चुकी है.
इस बात का दावा हम नहीं, पंजाब के RTI एक्टिविस्ट कर रहे हैं. मीडिया में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के चर्चित RTI एक्टिविस्ट हरमिलाप ग्रेवाल का दावा है कि पंजाब की मान सरकार इस कानून (RTI) को खत्म करने जा रही है, जिसके लिए इन्फॉर्मेशन डिपार्टमेंट का स्टाफ भी आधा कर दिया है. पंजाब की मान सरकार ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि वह लोगों से अपनी सरकार में जारी गड़बड़ियों को उजागर नहीं करना चाहती है. यही कारण है मान सरकार RTI का जवाब नहीं बल्कि फाइन चेक दे रही है.
मीडिया में जारी रिपोर्ट के अनुसार, RTI एक्टिविस्टों को पंजाब की AAP सरकार से तीन शिकायतें हैं…
- पहली- सरकार की ओर से RTI के तहत मांगी गई जानकारी नहीं मिलती है.
- दूसरी- जवाब मिलते भी हैं, तो वे टालने वाले होते हैं.
- तीसरी- जिस जानकारी से सरकार पर सवाल उठे, उन पर जवाब की बजाय फाइन दे दिया जाता है.
ऐसा ही मामला उस वक्त सामने आया जब पंजाब के चर्चित RTI एक्टिविस्ट हरमिलाप ग्रेवाल ने सरकार के विज्ञापन का खर्च पूछा, तो जवाब नहीं, सरकार की ओर से फाइन का चेक मिला. इतना ही नहीं उन्होंने इन्फॉर्मेशन डिपार्टमेंट में सूचना छिपाने और सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करने वाले लोगों को भटकाने के कई उदाहरण पेश किए. साथ ही उन्होंने बताया RTI के मामले में सरकार पहले एसी नहीं थी. जब आप सरकार नई-नई बनी थी, तब जवाब मिल रहे थे, लेकिन जवाबों के बाद जो खुलसे हुए, उनसे सरकार सहज हो गई और RTI लगाने वालों पर सख्ती करने लगी.
पेंडिंग एप्लिकेशन का जवाब देने में लेंगे 2 साल 4 महीने
पंजाब में ट्रांसपेरेंसी पर काम करने वाली संस्था सतर्क नागरिक संगठन का दावा है कि पंजाब में RTI के तहत आवेदनकर्ताओं को जवाब पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. इस संस्था ने जून 2024 में देशभर के सूचना आयोगों के आंकड़े जारी किए, जिनसे पंजाब की चिंताजनक स्थिति सामने आई है. संस्था के द्वारा जारी आंकड़े इस बात का दावा करते हैं कि पंजाब में जुलाई 2024 तक जितनी पेंडिंग RTI हैं, उनका जवाब देने में सरकार को करीब 2 साल 4 महीने लगेंगे.
पंजाब में RTI का प्रदर्शन कैसा है?
जुलाई 2023 से जून 2024 के बीच पंजाब में कुल 9,034 RTI आवेदन दर्ज हुए, लेकिन इनमें से सिर्फ 3,928 आवेदनों का ही जवाब दिया गया है. जबकि, राज्य में 2022 से लेकर अब तक पेंडिंग RTI की संख्या करीब 9,028 तक पहुंच गई है. जिसके चलते जुलाई 2023 से जून 2024 तक सूचना ने देने के कारण पंजाब RTI 12 लाख 22 हजार रुपये तक का जुर्माना दे चुका है. यही कारण है कि पंजाब सरकार RTI को बंद करना चाहती है. क्योंकि विभाग पर पेंडिंग RTI का इतना भार हो चुका है कि उनका जवाब देने में करीब 2 साल 4 महीने का वक्त लगेगा.
बता दें कि पंजाब के सूचना आयोग की एनुअल रिपोर्ट 2021 के बाद से अभी तक अपडेट नहीं की गई है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
क्यों हो रही है देरी?
विशेषज्ञों का कहना है कि पेंडिंग RTI की बड़ी संख्या और जवाबदेही की कमी के कारण यह स्थिति बनी है. साथ ही आयोग में अधिकारियों की कमी और प्रक्रिया की धीमी गति को इसकी मुख्य वजह माना जा रहा है.
नागरिकों की क्या है प्रतिक्रिया?
RTI एक्ट नागरिकों के लिए अपने अधिकारों और सरकारी कार्यों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण जरिया है. लेकिन पंजाब में मान सरकार की मौजूदा स्थिति ने लोगों की उम्मीदों को गहरा झटका दिया है. लोग सूचना आयोग की निष्क्रियता और सरकार की उदासीनता को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं. सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वह RTI के पेंडिंग मामलों को जल्दी निपटाने और प्रक्रिया को तेज करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए. नहीं तो वो दिन दूर नहीं है जब, RTI की मूल भावना और इसका महत्व खत्म हो जाएगा.