अक्सर आपने देखा होगा कि कई लोग अपने कानों को बार-बार साफ करते रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कान का यह मैल जिसे वैक्स भी कहते है कितना फायदेमंद होता है। कुछ लोग कान में मौजूद वैक्स को अपशिष्ट मानकर उसकी सफाई करके गलती कर बैठते हैं। लेकिन उनको नहीं पता होता है कि कान में जमा वैक्स हमें कान में होने वाली कई परेशानियों से बचाता है।
ये वैक्स कान की नलिकाओं की ऊपरी परत को सूखने से बचाता है। साथ ही यह कान में धूलकण और पानी जाने से रोकता है। तो आइए विस्तार से जानते हैं कि कान में मैल के क्या फायदे हैं?
कान में कैसे बनता है मैल?
आपके मन में अक्सर ये सवाल तो जरूर आता होगा, कि हमारे कान से जो मैल निकलता है वह आता कहां से है। तो चलिए हम आपको बताते हैं। दरअसल, कान का मैल कान में पाई जाने वाली केराटिनोसाइट्स कोशियकाओं के मृत हो जाने पर बनता है, जो देखने में मोम की तरह लगता है।
इसलिए कई लोग इसे ईयर वैक्स भी कहते हैं। ये वैक्स कई पदार्थों के मिश्रण से बना होता है। इसमें लाइसोज़ाइम पाया जाता है, जो एक एंटी-बैक्टिरियल एंजाइम है। ऐसे में कान में मौजूद वैक्स या मैल कई तरह के बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव करती हैं।
कान में जमा मैल के फायदे
कान के आसपास पाई जाने वाली स्किन बहुत ही नाजुक होती है। इसी स्किन को सुरक्षा प्रदान करने में ईयर वैक्स काफी मददगार होता है। इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और ऑयली गुण स्किन को सुरक्षा प्रदान करता है। इससे यह स्किन सूखती नहीं है और इसमें तरलता बनी रहती है।
मैल कान के लिए क्यों है जरूरी?
कान में मौजूद वैक्स आपके कान के अंदरुनी हिस्सों में फंगल और पानी से होने वाली परेशानियों से बचाता है। दरअसल, इसमें पानी को सुखाने का गुण होता है, कान के अंदर पानी जाने से रोकने में मददगार होता है। इसलिए बार-बार अपने कानों को साफ करने से बचें।
मैल के रंग बताता है कान स्वस्थ है या नहीं
कान के मैल का रंग आपके बेहतर स्वास्थ्य की पहचान करा सकता है। अगर आपके कान का मैल पीले रंग का है, तो समझ जाइए कि आपका कान स्वस्थ है।अगर आपके कान में ज्यादा मैल जमा हो जाता है तो यह खुद-ब-खुद निकल जाता है और यह कान को प्रदूषण से भी सुरक्षित करता है।