मध्यप्रदेश और राजस्थान के सफल TRIAL के बाद महाराष्ट्र में भी चलेगा नया MODEL… मुरलीधर मोहोल बन सकते हैं CM !

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महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चा तेज है. बीजेपी और महायुति की बंपर जीत के बाद यह सवाल बना हुआ है कि प्रदेश का नेतृत्व कौन करेगा. सूत्रों के अनुसार, बीजेपी ने मध्यप्रदेश और राजस्थान में अपनाए गए मॉडल को महाराष्ट्र में भी लागू करने का मन बना लिया है.

क्या है बीजेपी का नया मॉडल?

बीजेपी के इस मॉडल के तहत, पार्टी ने मध्यप्रदेश और राजस्थान में नए चेहरों को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया, जिससे जनता और संगठन में नई ऊर्जा का संचार हुआ. अब महाराष्ट्र में भी इसी तर्ज पर काम करते हुए युवा और नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी है.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद को लेकर काफी दिनों तक मंथन और चिंतन चला. एक ओर, कुछ वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे को ही सीएम बनाए रखने के पक्ष में थे, तो दूसरी ओर, बीजेपी का बड़ा धड़ा चाहता था कि मुख्यमंत्री पार्टी का चेहरा हो. लेकिन RSS और बीजेपी के मंथन के बाद ही यह बड़ा फैसला लिया गया.

हालांकि, आरएसएस और बीजेपी के बड़े नेताओं के बीच सहमति बनी कि मुख्यमंत्री बीजेपी का होगा. लेकिन देवेंद्र फडणवीस को इस बार केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी देकर महाराष्ट्र में नए चेहरे को सीएम बनाए जाने की पूरी-पूरी उम्मीदें हैं.

मुरलीधर मोहोल होंगे महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री?

सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर मुरलीधर मोहोल का नाम लगभग तय हो गया है. आरएसएस और बीजेपी दोनों ही मुरलीधर मोहोल के नाम पर सहमत दिख रहे हैं.

कौन हैं मुरलीधर मोहोल?

मुरलीधर मोहोल भारतीय जनता पार्टी के युवा और उभरते नेता हैं. अगर उनके राजनीतिक सफर की बात करें, तो 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पुणे लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल की और नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में मोहोल को नागरिक उड्डयन और सहकारिता मंत्रालय का राज्य मंत्री बनाया गया. अगर उनके व्यक्तिगत जीवन की बात करें, तो 49 वर्षीय मोहोल स्नातक हैं और व्यवसाय के तौर पर खेती और व्यापार से जुड़े हैं. मोहोल ने 24.3 करोड़ रुपये की संपत्ति और 14.9 करोड़ रुपये की देनदारियां घोषित की हैं.

उम्मीद है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान की सफलता से प्रेरित मॉडल के तहत मुरलीधर मोहोल का चयन महाराष्ट्र को नई ऊर्जा और नेतृत्व देने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है. बीजेपी और आरएसएस के इस निर्णय के बाद पार्टी में नई रणनीति और स्थिरता की उम्मीद की जा रही है.

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