भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन के लिए रूट तय; दुनिया की कई एडवांस ट्रेनों को देगी टक्कर!

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Hydrogen Train in India: भारत ने अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन की तैयारी पूरी कर ली है, जो न केवल पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक नई शुरुआत करेगी, बल्कि रेलवे तकनीक में भी एक मील का पत्थर साबित होगी. यह ट्रेन नए साल 2024 की पहली तिमाही में पटरियों पर दौड़ सकती है.

कहां हो रहा है ट्रेन का निर्माण?

इस ट्रेन का डिजाइन भारतीय रेलवे के अनुसंधान, अभिकल्प एवं मानक संगठन (RDSO) द्वारा तैयार किया गया है. ट्रेन का निर्माण चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में किया गया है. बता दें कि यह फैक्ट्री भारतीय रेलवे के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कोच बनाने के लिए प्रसिद्ध है.

इस ट्रेन की सबसे अहम बात ये है कि ये पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है, जो भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को दर्शाती है. RDSO के निदेशक उदय भोरवनकर ने इसे भारत के लिए गर्व का क्षण बताया है. उनका कहना है कि यह परियोजना न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि ऊर्जा क्षेत्र में स्वावलंबन की दिशा में एक बड़ा कदम है.

वहीं, अगर इसकी खासियत की बात करें, तो इस ट्रेन में कुल 8 यात्री कोच होंगे जो एक बार में 2638 यात्रियों को ले जाने की क्षमता रखते हैं. इसके अलावा, 2 कोच हाइड्रोजन ईंधन सिलेंडरों के लिए जोड़ी जाएंगी. और इसकी स्पीड की बात करें तो ट्रेन की अधिकतम स्पीड 110 किलोमीटर प्रति घंटा होगी.

पहला रूट: जींद से सोनीपत

मिली जानकारी के अनुसार, भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन हरियाणा के जींद से सोनीपत के बीच संचालित होगी. क्योंकि यह रूट छोटा और सपाट है, जो शुरुआती परीक्षण और संचालन के लिए उपयुक्त है. इसके अलावा, इस क्षेत्र में हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशन स्थापित करना भी सरल होगा. बता दें कि इस प्रोजेक्ट के मार्च-अप्रैल 2024 तक पूरा होने की संभावना है. हालांकि, तारीख परिस्थितियों के अनुसार बदल सकती है.

क्या है हाइड्रोजन ट्रेन?

हाइड्रोजन ट्रेन एक ऐसी तकनीक पर आधारित है, जिसमें हाइड्रोजन फ्यूल सेल का उपयोग किया जाता है. ट्रेन के संचालन के दौरान उत्सर्जन के रूप में केवल भाप और पानी निकलता है. इसके कारण यह ट्रेन पारंपरिक डीजल इंजन या अन्य ईंधन से चलने वाली ट्रेनों की तुलना में पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त है.

दुनिया में हाइड्रोजन ट्रेनों का सफर

जर्मनी ने दुनिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन कोराडिया आईलिंट 2018 में लॉन्च की. यह ट्रेन 140 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल सकती है और एक बार ईंधन भरने पर 1000 किलोमीटर तक सफर कर सकती है.

चीन ने हाल ही में एशिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन लॉन्च की. यह ट्रेन 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से चल सकती है और एक बार ईंधन भरने पर 600 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है.

भारत के लिए महत्व साबित होगी ये ट्रेन?

बता दें कि हाइड्रोजन ट्रेनें भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों और पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान पेश कर सकती हैं. ये ट्रेनें कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, और अन्य प्रदूषकों के उत्सर्जन को समाप्त करेंगी. साथ ही, स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देकर यह ट्रेन भारत को ग्रीन रेलवे नेटवर्क की दिशा में अग्रसर करेगी, जो भारतीय रेलवे तकनीक में एक नई क्रांति साबित होगी. यदि यह परियोजना सफल होती है, तो अन्य रूट्स पर भी ऐसी ट्रेनों को विस्तार दिया जाएगा. इतनी ही नहीं, यह कदम न केवल भारतीय रेलवे को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर लाएगा, बल्कि “मेक इन इंडिया” अभियान को भी गति प्रदान करेगा.

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