आज दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी, कभी सोना रखना पड़ा था गिरवी

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नई दिल्ली: भले ही वर्तमान में, आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 15 महीने से शीर्ष पर बना हुआ है, जो अब $609.02 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। आरबीआई के सोने के भंडार की बात करें तो वो भी $45.19 अरब तक बढ़ गया है।

हालाँकि, एक समय था जब भारत को ऋण लेने के लिए विदेशी मुद्रा की कमी थी, और इसके परिणामस्वरूप, भारत को ऋण लेने के लिए अपना सोना गिरवी रखना पड़ा था। इस कठिन दौर में प्रोफेसर जगदीश भगवती ने देश को संकट से निकालने में अहम भूमिका निभाई थी।

भारत ने 67 टन सोना गिरवी रखा था

सन् 1991 में, भारत को विदेशी मुद्रा भंडार की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप, भारत ने 67 टन सोने को गिरवी रख $2.2 अरब का कर्ज़ लिया। सोने की गिरवी रखने का फैसला सरकार ने लिया था, और मुंबई एयरपोर्ट पर एक चार्टर प्लेन ने सोने को इंग्लैंड भेजा, जिससे भारत को कर्ज प्राप्त हुआ।

इसके बाद, भारत ने न केवल गिरवी रखे सोने को छुड़ाया, बल्कि धीरे-धीरे अपने विदेशी मुद्रा भंडार को भी बढ़ाया, जो अब $609.02 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

प्रोफेसर जगदीश भगवती ने भारत को आर्थिक संकट से बाहर निकाला

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रोफेसर जगदीश भगवती ने 1991 में भारत को आर्थिक संकट से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। 1991 में लागू किये गये आर्थिक सुधार भारत के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जिससे व्यापार और उद्योगों को उदार बनाया जा सका।

भारत के अलावा अन्य जगहों पर भी अहम भूमिका निभाई

उनका योगदान भारत के लिए सीमित नहीं था, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय उद्योग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2001 में, उन्होंने विश्व व्यापार संगठन (World trade Organization) के बाहरी सलाहकार के रूप में भी काम किया, और 2000 में, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के विशेष नीति सलाहकार के रूप में भी काम किया।

पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया

1991 से 1993 तक उन्होंने महानिदेशक पद पर टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौता पर भी काम किया। साथ ही, 1968 से 1980 तक उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में काम किया। उनके योगदान को उद्धृत करते हुए, उन्हें 2000 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

रिपोर्ट: करन शर्मा