नई दिल्ली: नदियों का महत्व भारत में प्राचीनकाल से ही पौराणिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोन से रहा है। आपने भी गंगा, यमुना और सरस्वती की संगम स्थल के बारे में सुना होगा। यह माना जाता है कि इन तीनों नदियों का मिलन प्रयागराज में होता है जिसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है।
फिजिकली सिर्फ गंगा और यमुना नदी दिखती हैं, जबकि सरस्वती दिखाई नहीं देती है। इस पर इस पर अनेक अध्ययन किए जा चुके हैं। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि आज भी सरस्वती नदी धरती के नीचे बहती है। और दुनिया भर में कई ऐसी नदियाँ हैं, जो आज भी Underground Flow करती हैं। चलिए, हम कुछ ऐसी नदियों के बारे में जानते हैं।
लबौइच नदी, फ्रांस
फ्रांस की लबौइच नदी को यूरोप की सबसे लंबी भूमिगत नदी माना जाता है। इसकी खोज पहली बार 1906 में की गई थी। हर साल अप्रैल से नवंबर तक, यहां दर्शनीय स्थल देखने को मिलते हैं। इस नदी के जलाशय से दूसरे जलाशय तक जाया जा सकता है।
मिस्ट्री नदी, इंडियाना
यह अमेरिका की सबसे लंबी भूमिगत नदी है। इसे 19वीं सदी से लोग जानते थे, लेकिन 1940 के बाद सरकार ने इसे आम जनता के लिए खोल दिया था।
मोहवी नदी, कैलिफ़ोर्निया
ये भूमिगत और ज़मीन दोनों पर बहती है, लेकिन बाहर ये सूखी, तो ज़मीन के अंदर पानी से भरी रहती है।
सांता फ़े नदी, फ्लोरिडा
अमेरिका के उत्तर फ्लोरिडा में स्थित यह नदी की लंबाई लगभग 121 किलोमीटर है। यह पूरी तरह से भूमिगत नहीं है, लेकिन इसके 5 किलोमीटर तक भूमिगत ही बहती है।
नदी ओ’लेनो स्टेट पार्क में एक बड़े सिंकहोल में गिरती है और 5 किमी तक भूमिगत जाती है। फिर आगे जाकर 5 किलोमीटर दूसरे तरफ रिजर्वॉयर स्टेट पार्क में प्रकट होती है।
रियो कामू नदी, प्यूर्टो रिको
एक करोड़ साल पुरानी गुफाओं से बनी रियो कामू नदी का भी अपना ही आकर्षण है। प्यूर्टो रिको की रियो कामू नदी विश्व की तीसरी सबसे लंबी भूमिगत नदी मानी जाती है।
इन भूमिगत नदियों की सुंदरता और रहस्यमयीता हमें हमेशा मोहित करती हैं। ये नदियाँ पृथ्वी की अद्भुतता का एक अविस्मरणीय अंश हैं और विज्ञानिकों, पर्यटकों और अनुसंधानकर्ताओं के लिए अच्छा अध्ययन विषय प्रदान करती हैं।
इन भूमिगत नदियों के साथ संवाद स्थापित करने के लिए लोगों की रुचि बढ़ती जा रही है और इससे जुड़ी रहस्यमय बातें और विज्ञान की खोज हमें इन अद्भुत नदियों के साथ एक अनोखी प्रकृति का संवाद कराती हैं।
रिपोर्ट: करन शर्मा