भारतीय क्रिकेट के इतिहास में ऐसे खिलाड़ी हुए हैं, जिन्होंने अपने तेज़ खेल और आउट-ऑफ-द-बॉक्स सोच के कारण सभी लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनमें से एक नाम है वीरेंद्र सहवाग, जिनके जीवन की अनकही कहानी आज तक छुपी हुई है।
वीरू का जन्म एक छोटे से गांव में हुआ था। अपने खेल के शुरुआती दिनों में, उन्हें कई सारे चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जो उन्हें एक महान क्रिकेटर बनने से रोकने की कोशिश करती रहीं।
भारतीय क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी वीरेंद्र सहवाग के जीवन में छुपे हुए कई रोचक तथ्य हैं। उनके साहस और दिलचस्प खेल के अलावा, कुछ ऐसे अनजाने राज भी हैं, जो लोगों के लिए रहस्यमय हैं। आइए, हम आपको वीरेंद्र सहवाग के उन अनकहे तथ्यों के बारे में बताते हैं।
स्कूल के दिनों में तैरने के शौकीन
वीरेंद्र सहवाग का जन्म एक छोटे से गांव में हुआ था। जो एक छोटे से नदी के किनारे स्थित था। बचपन में वीरू ने तैराकी में खूब रुचि दिखाई थी। उनके गांव के लोग उनके तैरने के कौशल की सराहना करते थे।
पिता चाहते थे सहवाग को क्रिकेट छुड़वाना
जब वीरू 12 वर्ष के थे तो एक क्रिकेट मैच के दौरान उनका दांत टूट जाने के बाद उनके पिता ने उनकी क्रिकेट खेलने की आकांक्षाओं को ख़त्म करने की कोशिश की। लेकिन वीरू ने हार नहीं मानी और अपने सपनों के पीछे पड़े रहे। और सहवाग ने अपने पिता का Cricket Academy का सपना भी पूरा किया।
शानदार टेस्ट डेब्यू
वीरेंद्र सहवाग का टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू वर्ष 2001 में हुआ था। उन्होंने नई दिल्ली में खेले गए टेस्ट मैच में शानदार शतक जड़कर अपने पहले टेस्ट मैच में धमाकेदार प्रदर्शन किया था।
कैसे मिला “मुल्तान का सुल्तान नाम”?
वीरेंद्र सहवाग के नाम से ही उनकी खास पहचान बनी हुई है। वीरेंद्र सहवाग, जिन्हें “मुल्तान का सुल्तान” के नाम से भी जाना जाता है, यह नाम उन्हें 30 मार्च 2004 को मुल्तान, पाकिस्तान में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया गया था।
उस मैच में, सहवाग ने 309 रन बनाए, जो उस समय टेस्ट क्रिकेट में किसी भारतीय द्वारा बनाया गया सर्वोच्च स्कोर था। उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में किसी भारतीय द्वारा सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड भी है।
सबसे तेज शतक
2009 में वीरेंद्र सहवाग ने New Zealand के खिलाफ केवल 60 गेंदों में एक तेज शतक जड़कर इतिहास रच दिया था। जिस वजह से भारत उस मैच को 10 विकेट से जीत पाया था.
वनडे क्रिकेट में लगाया दोहरा शतक
वनडे क्रिकेट में पहला दोहरा शतक लगाने का रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम है. लेकिन, एक साल के भीतर ही सचिन को अपना आयडल मानने वाले वीरेंद्र सहवाग उनसे एक कदम आगे निकल गए. सहवाग ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 2011 में इंदौर में हुए एक वनडे में 219 रन की पारी खेली थी. यह वनडे का दूसरा दोहरा शतक था.
वीरेंद्र सहवाग के इन अनकहे तथ्यों ने उनके खल के रंग में और भी चार चाँद लगा दिए हैं। वीरू की अद्भुत मेहनत और क्रिकेट के प्रति उनकी गहरी प्रेम भावना ने उन्हें नेशनल टीम में एंट्री दिलाई। इसके बाद वह इतिहास में एक ऐसे खिलाड़ी बने जो आउट-ऑफ-द-बॉक्स सोच और तेज़ खेल के लिए जाने जाते हैं।
वीरू के खेल का अलग ही मजा था, जिसे देखने वाले लोग हमेशा याद करते रहेंगे। उनकीं सकारात्मक सोच और उत्साह से खेले गए हर मैच, उन्हें विश्वस्तरीय खिलाड़ी बनने की ओर ले गए। उनके बेहद रोचक सफलता के पीछे की मेहनत और समर्पण की कहानी हम सभी को प्रेरित करती रहेगी।
रिपोर्ट: करन शर्मा