नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 का आगाज हो चुका है और सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुट चुकी है। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनव में बिहार की राजनीति सबसे अलग रास्ते पर है। नीतीश कुमार जिस बिहार से सभी पार्टियों को एक करने के लिए निकले थे। आज उन्हीं के गढ़ में उन्हीं के योद्धा अपने रास्ते अगल कर लिए।
बिहार में पिछले कुछ दिनों से दो नाम सभी की जुबान पर थे। सभी को यह जानने की इच्छा थी कि अब आगे क्या होगा। लेकिन जनता दल यूनाइटेड (JDU) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर नीतीश कुमार से दूरियां बढ़ा ली हैं यानी अपनी राह अलग कर ली है। उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी “राष्ट्रीय लोक जनता दल” की घोषणा कर दी है।
18 साल में ये तीसरी बार है जब उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश का साथ छोड़ा है और दूसरी बार नई पार्टी बनाई है। इस बार भी कुशवाहा ही उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे।
शुरूआत अच्छी थी लेकन अंत बुरा
जनता दल यूनाइटेड से इस्तीफा देने से पहले उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार के साथ शुरुआत अच्छी थी, लेकिन अंत बुरा। उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि अब नया सफर शुरू करेंगे। जमीन बेचकर हम अमीर नहीं बन सकते। इसलिए एमएलसी पद से भी इस्तीफा दूंगा। विधान परिषद के सभापति से मिलकर एक-दो दिन में इस्तीफा भी सौंप दूंगा। कुशवाहा ने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि सुशासन बाबू पड़ोसी यानी आरजेडी के घर में उत्तराधिकारी ढूंढ रहे हैं ।
उपेंद्र कुशवाहा ने ऐसा पहली बार नहीं किया है। इससे पहले भी वे 2 बार नीतीश कुमार का साथ छोड़ चुके हैं और अब ऐसा तीसरी बार है जब कुशवाहा ने जेडीयू को अलविदा कह दिया। साल 2005 से लेकर अब तक कुशवाहा ने अपने लिए दूसरी बार पार्टी का गठन किया। 2005 में नीतीश कुमार और उनकी पार्टी का साथ छोड़र अलग हुए कुशवाहा ने साल 2010 में फिर से घर वापसी की। लेकिन ज्यादा दिन तक जेडीयू का साथ न दे सके और फिर से साल 2014 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च 2013 में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) बना ली।
एनडीए को समर्थन देने के बाद मोदी कैबिनेट में मिली थी जगह
कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता ने 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को अपना समर्थन दिया और बिहार की तीन लोकसभा सीट पर उनकी पार्टी ने चुनाव लड़ा और तीनों सीटें जीत लीं। इसके इनाम में उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह मिली और वो मानव संसाधन राज्य मंत्री बने।
2018 में एक बार फिर घर वापसी
साल 2018 आते-आते कुशवाहा की पार्टी ढह गई। फिर वे 2019 लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के साथ गए, लेकिन एक भी सीट नहीं मिली। फिर उन्होंने अपनी पार्टी का जदयू में विलय कर दिया।