नई दिल्ली: महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से उठापटक जारी है और बालासाहेब ठाकरे के उत्तराधिकारी से अब शिवसेना और तीर-कमान दोनों ही छिन चुके हैं। क्योंकि चुनाव आयोग ने अपने फैसने में शिंदे गुट को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्र दोनों ही दे दिया। चुनाव आयोग के फैसले के बाद उद्धव गुट में खलबली मची हुई है। फैसला आने के बाद उद्धव ठाकरे का कहना है कि ये सरासर अन्याय है और देश में तानाशाही की शुरूआत हो गई है। ये फैसला लोकतंत्र की हत्या है। हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
चुनाव आयोग का फैसला
चुनाव आयोग ने कहा है कि शिवसेना अब शिंदे गुट की हो गई है। निर्वाचन आयोग ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना का नियंत्रक बना दिया है। आयोग ने अपने 78 पेज के फैसले में कहा है कि विधान मंडल के सदन से लेकर संगठन तक में बहुमत शिंदे गुट के ही पास दिखा है।
फिर खड़ी होगी नई शिवसेना- संजय राउत
वहीं, इस पर सांसद संजय राउत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि इसकी स्क्रिप्ट पहले ही तैयार की जा चुकी थी। संजय आगे लिखते है कि हमें फिक्र करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जनता हमारे साथ है। लेकिन हम जनता के दरबार में नया चिह्न लेकर जाएंगे और फिर से शिवसेना खड़ी करके दिखाएंगे। साथ ही संजय राउत ने बीजेपी और शिंदे गुट पर हमला बोलते हुए कहा है कि, शिवसेना का तीर छीनने के लिए करीब 2 हाजर करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ है।
2022 में आया था महाराष्ट्र की राजनीति में संकट
दरअसल, पिछले साल यानी जून 2022 हमें महाराष्ट्र की सियासत में ड्रामा देखने को मिला था। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार में रहते एकनाथ शिंदे ने अद्धव ठाकरे से बगावत कर दी थी। जिसके बाद शिवसेना में दो गुट उभर कर आए। एक शिंदे गुट और दूसरा उद्धव ठाकरे गुट। इस बगावत के बाद उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा और शिंदे बीजेपी के साथ मिलकर सीएम बन गए।