नई दिल्ली/डेस्क: एक बार फिर से, अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ अहमद चर्चा का विषय बने हुए हैं। खबर है कि, इन दोनों भाईयों को उत्तर प्रदेश विधानसभा में श्रद्धांजलि दी जाएगी।
नियमों के मुताबिक, आज से शुरू होने वाले सत्र के पहले ही अतीक ब्रदर्स को श्रद्धांजलि दी जाएगी, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस श्रद्धांजलि समारोह का हिस्सा होंगे। पहले भी लोकसभा में सांसदों ने अतीक और अशरफ को श्रद्धांजलि दी थी। क्योंकि दोनों भाई विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के लिए कई बार विधान सभा के सदस्य (एमएलए) रहे हैं।
सत्र के पहले दिन, इन दोनों भाइयों को श्रद्धांजलि देने के लिए, विभिन्न पार्टियों के नेता, जिनमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विपक्ष के नेता अखिलेश यादव, कांग्रेस से आराधना मिश्रा, जन सत्ता दल के रघुराज प्रताप सिंह, बीएसपी के उमा शंकर सिंह, और सुभाषपा के ओम प्रकाश राजभर भी शामिल होंगे।
सीएम योगी ने वादा किया पूरा!
अतीक अहमद ने उमेश पाल की हत्या में मुख्य आरोपी की भूमिका निभाई थी, जो बीएसपी विधायक राजू पाल की हत्या के एकमात्र साक्षी थे। जिसके बाद अतीक ब्रदर्स की प्रयागराज में, पुलिस के सामने, तीन लड़कों ने हत्या कर दी थी।
इस घटना के बाद विपक्ष ने योगी आदित्यनाथ सरकार की कानून व्यवस्था की जमकर आलोचना की थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराधिक संघटनों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए पहले ही माफियाओं को मिट्टी में मिला देने का वादा कर दिया था।
अतीक-अशरफ राजनीति से कब्र तक
अतीक अहमद ने 1989 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट जीती थी। उसके बाद वे इसी सीट से दो बार विजयी हुए। 1993 और 1996 में, अतीक ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर इसी सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि, बाद में समाजवादी पार्टी ने उन्हें निकाल दिया था।
इसके बाद, 2002 में उन्होंने अपना दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजयी हुए। 2003 में वह फिर से सपा में शामिल हो गया और 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने फूलपुर संसदीय सीट जीती। अतीक का भाई अशरफ भी उत्तर प्रदेश विधानसभा का सदस्य रहा है।
2005 में राजू पाल की हत्या के बाद, अशरफ ने इलाहाबाद पश्चिम सीट जीती थी। वे राजू पाल की हत्या के आरोपी में से एक था. अशरफ को प्रयागराज लाने से पहले बरेली जेल में हिरासत में रखा गया था।
रिपोर्ट: करन शर्मा