खतरे में हैं विकासशील देश! प्रकृति दे रही है ये संकेत

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नई दिल्ली/डेस्क: इस वक्त दुनिया बदलते मौसम की चपेट में है। दुनिया में हर जगह कुदरती आपदाएं सुनने को मिल रही हैं। कहीं भूकंप, कहीं बाढ़ तो कहीं तेज तूफान ने लोगों की जिंदगियों पर असर डाला है। तेजी से बदलते मौसम की वजह से खेती भी प्रभावित हुई है।

सूखे की वजह से अमेरिका समेत यूरोप के भी कई देश प्रभावित हुए हैं। भीषण सूखे की चपेट में कई देश हैं। नदियां सूख चुकी हैं। खूबसूरत शहर बदसूरत नजर आने लगे हैं। वजह है ग्लोबल वार्मिंग। यूरोप के कई देश हैं जहां ऐसा सूखा पड़ा है। उच्च वायुमंडलीय दबाव की वजह से नहरें, नदियां सूख चुकी हैं। लंबे समय से समंदर की नीची लहरें और बारिश की कमी से ऐसे हालात पैदा हुए हैं।

कई देशों पर जमीनी उच्च दबाव की वजह से समुद्र की लहरें नीची हो रहीं हैं। जिन्हे टाइड कहा जाता है। पहले हाई टाइड आती थी। यानी समद्री लहरों में अच्छा खासा उछाल आता था, लेकिन अब हाई टाइड में भी कमी देखी जा रही है। पहले समझते हैं कि क्या है हाई टाइड?

क्या है हाई टाइड?

  • समुद्र में आनी वाली लहरों को टाइड कहते हैं
  • चंद्रमा- सूरज से पैदा होने वाले ग्रेविटेशनल फोर्स से टाइड आती हैं
  • बैरोमैट्रिक दबाव की वजह से समुद्र में तूफान उठता है
  • दबाव की वजह से समुद्र में तेज लहरें उठती हैं
  • लहरें दो तरह की होती हैं, डिस्ट्रक्टिव और कंस्ट्रक्टिव
  • समुद्र के किनारे आने वाली लहरें होती हैं ‘स्वैश’
  • लहर को किनारे से लौटने को ‘बैकवॉश’ कहते हैं

ग्लोबल वार्मिंग एक बड़ा खतरा

हाई टाइड या उच्च ज्वार आना या समंदर का स्तर बढ़ना-चंद्रमा और सूरज से पैदा होने वाले गुरुत्वाकर्षण बल और पृथ्वी के चक्कर लगाने की वजह से पैदा होता है। बैरोमैट्रिक दवाब की वजह से समंदर के अंदर तूफान उठता है, जिसकी वजह से समंदर में बड़ी, तेज और ताकतवर लहरें उठती हैं, लेकिन पिछले कुछ समय में बैरोमैट्रिक दवाब में कमी दर्ज हो रही है, समुद्र में उठने वाली लहरें भी दो तरह की होतीं हैं।

डिस्ट्रक्टिव और कंस्ट्रक्टिव जब लहर टूटती है, तो पानी समंदर किनारे तक आता है इसे स्वैश कहा जाता है। जब पानी लौटता है तो इसे बैकवॉश कहते हैं। हाई टाइड में कमी का मतलब है कि चांद की गुरुत्वाकर्षण बल में कमी आ रही है। समुद्र उस उछाल पर नहीं है जिस उछाल पर उसे होना चाहिये।

इस बात को हम सब भली भांती जानते और समझते हैं कि धरती के भीतर कई गैसें हैं, जो धरती की सतह पर रहने वाले जीवों और पेड़ पौधों के लिए खासी जरूरी हैं। मगर बीते कई सालों में जमीन पर जीवों और पेड़ पौधों को पर्याप्त रूप से गर्म रखने के लिए ग्रीनहाउस में गैसों के मात्रा में अचानक से बदलाव की वजह से तापमान सामान्य से ज्यादा बढ़ रहा है। जिस वजह से लगातार जलवायु परिवर्तन हो रहा है।

खतरें में विकासशील दुनिया

दुनिया भर में विकास की तेज रफ्तार ने जलवायु को बदल डाला है। मौसम बदल चुके हैं। गर्मी है तो शिद्दत की गर्मी और अगर सर्दी है तो कपकपाने वाली सर्दी। हर देश अपने आप को शक्तिशाली बनाने के लिए नए-नए आविष्कार में जुटा है। परमाणु का परीक्षण किया जा रहा है।

जगह जगह खुदाई और जलवायु के साथ खिलवाड़ हो रहा है। जिस वजह से कुदरती आपदाएं आ रही हैं। इस बीच दुनिया के कई देशों में जलवायु परिवर्तन का असर दिखाई दे रहा है। इस वजह से दुनिया के कई देश गंभीर सूखे का सामना कर रहे हैं।

या यूं कहें कि कुदरत में दख्लअंदाजी की वजह से पूरी दुनिया इसका अंजाम भुगत रही है। अगर हमें कुदरती आपदाओं से बचना है तो हमें अपने जलवायु को बर्बाद होने से रोकना होगा।

रिपोर्ट- रामिश नकवी, डेस्क

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