मेव मुस्लिम क्यों मानते हैं खुद को अर्जुन के वंशज और क्यों सुनाते हैं महाभारत की कहानी

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नई दिल्ली/डेस्क: भारतीय समाज विविधता और ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में विभिन्न समुदायों की विचारधारा को मानता है, जिनके पीछे उनके विशेष ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संस्कृति के कारण होते हैं।

मेव मुस्लिम समुदाय, जो विशेष रूप से भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में, खासकर राजस्थान राज्य में पाए जाते हैं, अपने आप को महाभारत के प्रमुख पांडव योद्धा अर्जुन के वंशज मानते हैं। इस लेख में, हम देखेंगे कि उनका यह मानना कैसे उत्पन्न हुआ और वे महाभारत की कहानी को क्यों सुनाते हैं।

महाभारत की कहानी

महाभारत एक प्राचीन भारतीय महाकाव्य है जिसकी कहानी महाकुरुक्षेत्र युद्ध के आसपास घूमती है। पांडव और कौरवों के बीच हुए यह युद्ध इस महाकाव्य का मुख्य विषय है। अर्जुन पांडव समूह के एक योद्धा है, जो अपने समय के महान धनुर्वीरों में से एक माने जाते हैं। उनकी महत्वपूर्ण भूमिका उनके शिक्षक भगवान कृष्ण के साथ युद्धभूमि पर हुए संवाद में है, जिसे हम भगवद गीता के रूप में जानते हैं।

मेव मुसलमान हिंदू महाकाव्य महाभारत को एक खास तरह की शैली में गाते हैं, जिसे पंडुन का कड़ा कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ये महाभारत का मेवाती संस्करण है, जिसे संगीतमय तरीकों से सुनाया जाता है। पंडुन का कड़ा बहुत ही प्रसिद्ध विधा है जो सिर्फ मेव मुसलमानों में ही पाई जाती है।

मेव मुस्लिम और अर्जुन का संबंध

मेव मुस्लिम समुदाय के अनुसार, वे महाभारत के योद्धा अर्जुन के वंशज हैं। इस मान्यता का आधार कुछ स्थानीय किस्से और मौखिक परंपराओं में होता है जिनमें महाभारत के घटनाक्रमों का संबंध होता है।

मेव मुस्लिम समुदाय का अर्जुन से जुड़ा यह संबंध स्थानीय किस्सों और मौखिक परंपराओं पर आधारित है। कुछ किस्से बताते हैं कि महाभारत के युद्ध के बाद या युद्ध के दौरान, अर्जुन ने विभिन्न क्षेत्रों में यात्रा की और मेव क्षेत्र में भी पहुँचे। वहां, उन्होंने स्थानीय मेव समुदाय की राजकुमारी से विवाह किया और उनके वंशज मेव मुस्लिम कहलाए गए।

धरोहर और संरचना

ऐसा माना जाता है कि बारहवीं और सोलहवीं शताब्दी के बीच मेव धीरे-धीरे इस्लाम में परिवर्तित हो गए। उनके नाम से उनकी हिंदू उत्पत्ति स्पष्ट होती है, क्योंकि अधिकांश मेव अभी भी “सिंह” शीर्षक रखते हैं, जो समुदाय की समन्वयवादी प्रकृति को प्रकट करता है। राम सिंह, तिल सिंह और फतेह सिंह विशिष्ट मेव नाम हैं।

इतना ही नहीं बल्कि वे होली, दशहरा और दिवाली जैसे त्योहार भी मनाते हैं। मेव मुस्लिम समुदाय के यह विशिष्ट मान्यताएं और किस्से महाभारत की कहानी से जुड़े होने का एक माध्यम है जो उनकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को बढ़ावा देता है।

यह दिखाता है कि भारतीय समाज कितने विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि के साथ अपने इतिहास को देखता है और कैसे समुदाय अपनी विशेषता को महत्वपूर्ण मानते हैं।

रिपोर्ट: करन शर्मा