नई दिल्ली डेस्क: अगर आप समझते हैं कि सहरा सिर्फ रेत का समुद्र है, तो आपको अपनी सोच बदलनी पड़ेगी। सहरा में सिर्फ धूल ही नहीं बल्कि कुदरत के नायाब और अनमोल खजाने भी छुपे हैं। जी हां पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के सिंध प्रात के अछोथर की कहानी बड़ी दिलचस्प है। अछोथर में कई नायाब झीलें हैं। कहने को ये इलाका मजह एक रेगिस्तान है। जहां हर रेगिस्तान की तरह धूल धक्कड़ है। पर यहां कुदरत की नायाब चीजें भी हैं।
पाक में कुदरत का नायाब खजाना
पाकिस्तान के सिंध प्रांत का रेगिस्तानी इलाका अछोथर। रेत के दिलकश टीले इस इलाके की पहचान हैं, लेकिन इस रेगिस्तान के दामन में नमक की कई झीलें भी मौजूद हैं। अनमोल शाहकार जिसे नमक वाली झील भी कहा जाता है। यहां से हर रोज इस झील से नमक निकालने का काम किया जाता है। झील से रोज़ नमक निकालते वक्त उन के हाथ जकड़ जाते हैं। खास बात ये है कि यहां काम करने वाले मजदूर किसी भी तरह की कोई सुरक्षा नहीं लेते। ना ही गल्ब्स पहनते हैं और ना ही जूता।
हजारों टन नमक निकालती हैं झीलें
नमक की इस झील में पूरे साल काम चलता है। यहां हर रोज हजारों टन नमक निकाला जाता है। यहां पर मजदूर सुबह से शाम तक झील से नमक को अलग करने में मसरूफ रहते हैं। इस नमक को झील से निकाल कर नमक का ढ़ेर लगाया जाता है। सुखाकर बोरियों में भरा जाता है। जिस के बाद इन बोरियों को ट्रकों में लाद कर पाकिस्तान की अलग अलग मंडियों में पहुंचाया जाता है और हैरान करने वाली बात तो ये है कि 30 से 40 किलो की एक बोरी भरने के लिए इन मजदूरों को महज 10 रूपए मेहनताना मिलता है।
मजदूरों के हालात पस्त
अछोथर के रेगिस्तानी इलाके में नमक के अलावा लोग मवेशी भी पालते हैं और उन्हें बेच कर अपनी जिंदगी बसर करते हैं। नमक का भंडार उन के अपने ही इलाके में है। फिर भी यहां रहने वाले लोगों की भूमिका मजह मजदूरों की ही है। यहां रहने वाले लोगों के पास ना तो कोई सरकारी मदद पहुंचती है और ना ही कोई शिक्षा और ना ही यहां कोई बुनियादी स्वास्थ सेवाएं मौजूद हैं।
सिंध की झीलों का नमक है खास

अछोथर की झीलों से निकलने वाला नमक ना सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया में एक्सपोर्ट किया जाता है। नमक का कारोबार नीजी ठेकेदारों के हाथों में है, लेकिन गरीब मजदूरों की बेहतरी पर ना तो ठेकेदार ना प्रशासन और ना ही सरकार कोई तव्वजो देती है। अपनी मेहनत का सही मेहनताना ना मिलना इन मजदूरों की सब से बड़ी समस्या है।
रिपोर्ट- रामिश नकवी, डेस्क