भारत की ग्रोथ स्टोरी के बारे में दुनिया में किसी को भी संदेह नहीं है। चाहे आर्थिक सुस्ती का असर दुनिया में जितना भी हो, लेकिन भारत की विकास दर बिना रुकावट के तेजी से बढ़ रही है।
एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने भारत की 2023-24 के लिए विकास दर का अनुमान 6.4% रखा है। ADB ने 2024-25 के लिए भी 6.7% के विकास दर की उम्मीद जताई है। विकास दर में तेजी के पीछे मजबूत डिमांड का बड़ा योगदान है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की हुई तारीफ
भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2022-23 में 7.2% की विकास दर दर्ज की थी। वह समय ऐसा था, जब अमेरिका और यूरोप समेत पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्थाएं महंगाई के दबाव के कारण थक चुकी थीं। इसके बावजूद, IMF के अध्यक्ष क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने आर्थिक सुस्ती के बीच भारत की विकास दर की सराहना की है।
ADB की रिपोर्ट के अनुसार महंगाई कम होने के लिए भी राहतभरी सूचना है। वह कहती है कि विकासशील देशों में महंगाई दर 3.6% रह सकती है, और अगले साल इसे 3.4% तक कम किया जा सकता है।
लेकिन IMF ने भोजन और खाद्यान्न (Food & Grains) की महंगाई के कारण जारी महंगाई पर चिंता व्यक्त की है। IMF के अध्यक्ष ने अधिक तंग नीति (Tight Policy) की आवश्यकता बताई है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के कारण
भारत की ग्रोथ स्टोरी को बड़ी तारीफ मिल रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने नौ साल में दुनिया में दसवें नंबर से पांचवें स्थान पर आने का कमाल किया है। अब आने वाले समय में ये दुनिया की टॉप-3 इकोनॉमी में शामिल हो सकती है।
ऐसा होने के पीछे GST, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास (Infrastructure Development), ऊर्जा सेक्टर (Energy Sector) में सुधार और डिजिटलीकरण जैसे कई कदम शामिल हैं।
अभी भी काफी लंबा रास्ता तय करना है
भारत की ग्रोथ के लिए अभी और काम करने की जरूरत है, लेकिन साथ ही चुनौतियां का सामना भी करना पड़ेगा। प्रति व्यक्ति आय में सुधार की जरूरत है और मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) में भी समस्याएं हैं।
महिला साक्षरता (Female Literacy) और शिक्षा में भी बदलाव चाहिए। भ्रष्टाचार भी कम किया जाना चाहिए। अगर भारत इन समस्याओं का सामना जल्दी से करता है, तो विकास की रफ्तार और भी तेज हो सकती है।
रिपोर्ट: करन शर्मा